सुकरौली बाजार,कुशीनगर , गन्ने के साथ सहफसली खेती के प्रति कृषको को जागरूक करने गन्ने की उत्पादन लागत को कम करने, कृषको की आय बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान प्रशिक्षण केन्द्र – पिपराईच गोरखपुर द्वारा आयोजित प्रत्येक प्रशिक्षण गोष्ठी में गन्ने के साथ सहफसल आलू, प्याज, लहसून, गोभी , टमाटर , गेहूँ, मूंग – उर्द , तोरिया, कद्दू , लोबिया, आदि का बड़ा फोटोग्राफ सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता द्वारा दिखाकर , समझाकर उसके खेती से लाभ विषय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिसको देखकर किसान अपना रहे हैं।
इसी क्रम मे तमकोहिराज विकास खण्ड के ग्राम बरवा राजा पाकड़ टोला जमुआन के प्रगतिशील किसान ओम प्रकाश सिंह उर्फ राजू सिंह कें दरवाजे पर गन्ने के साथ सहफसली खेती एवं उसके विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया , अध्यप्रता प्रगतिशील किसान श्री राजू सिंह ने किया था। प्रशिक्षण का क्या प्रभाव पड़ा इसकी जानकारी के लिए सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता ने राजू सिंह से बात – चीत की, राजू सिंह ने बताया कि हम 10 से 12 एकड में गन्ने की खेती करते है हमारे पास गन्ने की 6 प्रजातियाँ है . को. शा. 17231,
18231, 16201, को. लख . 14201, 15466 तथा 11015 है। फोटो ग्राफ देखकर गन्ने के साथ उर्द , 3 मार्च को बोया हुँ, एक एकड़ बोने मे लगभग 7 किलो ग्राम बीज लगा है , प्रजाति नरेन्द्र उर्द -1 है जो 70 से 75 दिनो में पक गया है। फली कटवा दिया हूँ। सहायक निदेशक ने पूछा गन्ने के साथ उर्द बोने से क्या लाभ हुआ। श्री राजू सिंह ने बताया कि जिस खेत में उर्द बोये है, अन्य खेत के गन्ना फसल
से अच्छा है , उर्द के कारण खरपतवार – घास का प्रभाव कम हो गया है। लगभग ढाई कुन्तल उर्द एक एकड़ में निकला है। सबसे कम दिन में तैयार होने वाला फसल है गन्ने के साथ उर्द की खेती , दोहरा लाभ हरी खाद भी, दाल भी, गन्ना भी अच्छा यह फोटोग्राफ की देन हे | गन्ना अनुसंधान संस्थान सेवरही के संयुक्त निदेशक डा . सुभाष सिंह ने गन्ना प्रजाति का निरीक्षण कर चुके है, मेरा सभी किसानो के लिए सुझाव है गन्ने में उर्द- मूंग बोए।